जीवन भर धन सम्पदा का संचय करने वाला मात्र रिक्त हस्त ही नहीं अपितु आधे अधूरे मन से इस संसार से कूच कर जाता है।
5.
सर्वथा रिक्त हस्त हो चुके किसानों पर लगान वसूली के लिए ' ज्ञानशंकर' के भीषण अत्याचार का वर्णन करते हुए उपन्यासकार टिप्पणी करता है-'इन अत्याचारों को रोकने वाला अब कौन था?
6.
कृष्ण प्रीति सरि में न नहाया खाली हाथ गया मधुकर रिक्त हस्त ही अपर जन्म में फिर रह जायेगा निर्झर कण कण में झंकृत है उसकी स्वर लहरी उल्लासमयी टेर रहा है योनिरुत्तमा मुरली तेरा मुरलीधर।।120।।